Saturday, March 3, 2018

"मौन"


ज़िन्दगी
शहर से गायब है;
गाँव ख़ामोश बूढ़े पेड़ से लटका है।
जंगल की खामोश आँखें
पहरा हैं हर पहर का-
इस धरती के वक्ष पर जो
सुनहरी कहानी है;
जंगल नियम से शौन्दर्य तू,
अपनी ही इबादत, आदत है ज़िंदगी तू।
पल-पल, हर पल।
-Vishwa




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